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मध्य प्रदेश के लिए मॉडल बना रहा छिंदवाड़ा जिला: जीरो टिल तकनीक से कृषि मैं आ रही क्रांति, किसानों की आय में बढ़ौतरी - NN81



छिंदवाड़ा। छिंदवाड़ा जिला अब जलवायु-अनुकूल कृषि (Climate-Resilient Agriculture) और नरवाई (पराली) प्रबंधन के क्षेत्र में पूरे मध्य प्रदेश के लिए एक मॉडल जिला बनकर उभरा है। लगभग डेढ़ साल पहले शुरू हुए इस कार्यक्रम के आशाजनक परिणाम अब जमीन पर दिखने लगे हैं, जहाँ किसान खुद से शून्य जुताई (Zero Tillage) तकनीक अपना रहे हैं और नवाचार के नए कीर्तिमान स्थापित कर रहे हैं।

🔬 BISA वैज्ञानिकों का मार्गदर्शन और तकनीकी सफलता

इस सफलता के पीछे  कृषि विभाग ओर अंतर्राष्ट्रीय कृषि अनुसंधान केंद्र बोरलॉग इंस्टीट्यूट फॉर साउथ एशिया (BISA) जबलपुर के वैज्ञानिकों और तकनीकी विशेषज्ञों का विशेष मार्गदर्शन है।

 * BISA के तकनीकी सहायक, श्री दीपेंद्र सिंह, ने इस तकनीक को किसानों तक पहुँचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। उन्होंने न केवल किसानों को मशीन चलाने का प्रशिक्षण दिया, बल्कि उन्हें सीधे बुवाई (Zero Tillage) के पर्यावरण और आर्थिक लाभों के बारे में भी जागरूक किया। श्री दीपेंद्र सिंह ने बताया कि बिना जुताई के बुवाई करने से मिट्टी की नमी बनी रहती है,  शुरुआती  खेत जुताई की लगत खत्म हो जाती हैं,डीजल की खपत कम होती है और पराली मिट्टी में मिलकर खाद बन जाती है, जिससे जमीन की उर्वरता बढ़ती है।

 * इस पहल के तहत, ग्राम कामठी में किसान श्री किशोरी जी पवार के खेत पर सफलतापूर्वक प्रदर्शन किया गया, जिसके बाद अन्य किसान भी प्रेरित हुए।

🚜 शून्य जुताई का मॉडल: हेमंत यादव की उद्यमिता

छिंदवाड़ा के परासिया विकासखंड के ग्राम जामनिया जेठू के किसान श्री हेमंत यादव जी ने इस कार्यक्रम से प्रेरित होकर जिले की पहली जीरो टिल मशीन खरीदी। उन्होंने इस मशीन को न केवल अपने खेत के लिए उपयोग किया, बल्कि इसे किराए पर चलाकर अन्य किसानों को

 महिला किसान का संदेश: "वरदान से कम नहीं यह मशीन"

इस तकनीक के कारण सबसे बड़ी राहत उन किसानों को मिली है जिनके पास श्रम की कमी है। जामनिया जेठू की किसान श्रीमती राज कली ने प्रशिक्षण के दौरान अपनी कहानी साझा की:

> "मेरे पति नहीं रहे और मेरे पास खेती का काम करने के लिए पर्याप्त लोग नहीं हैं। जीरो टिल मशीन मेरे लिए किसी वरदान से कम नहीं है। अब कम मेहनत में समय पर बुवाई हो जाएगी, और पराली जलाना भी नहीं पड़ेगा। पराली खेत में ही रहकर खाद बनाएगी, जिससे मेरी मिट्टी का स्वास्थ्य सुधरेगा और मेरी उपज बढ़ेगी।"

यह मशीन श्रम की कमी को दूर कर महिला किसानों को सशक्त बना रही है।

💰 सब्सिडी और आवेदन: कृषि अभियांत्रिकी विभाग का सहयोग

इस सफलता को व्यापक बनाने के लिए कृषि अभियांत्रिकी विभाग किसानों का सक्रिय सहयोग कर रहा है:

 * उपसंचालक कृषि श्री जितेंद्र कुमार सिंह ने किसानों से अपील की है कि वे इस मशीन का लाभ उठाएं। उन्होंने स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि 35 से 40 HP तक के छोटे ट्रैक्टर वाले किसान भी इस मशीन को खरीदकर पराली प्रबंधन और समय से बुवाई कर सकते हैं, जिससे खेती की लागत घटेगी।

 * कृषि अभियांत्रिकी विभाग के श्री समीर पटेल ने बताया कि किसान जीरो टिल मशीन पर सब्सिडी प्राप्त करने के लिए 10 नवंबर से ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं।

आवेदन प्रक्रिया:

 * किसान MP DAGE (ई-कृषि यंत्र अनुदान) पोर्टल पर जाकर बैंक से डिमांड ड्राफ्ट (DD) बनवाकर ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं।

 * यह सब्सिडी किसानों को कम कीमत पर मशीन खरीदने में मदद करेगी, जिससे यह तकनीक जिले के हर कोने तक पहुँच सके।

छिंदवाड़ा की यह पहल दर्शाती है कि सही मार्गदर्शन और आधुनिक तकनीक के साथ, किसान पर्यावरण संरक्षण करते हुए भी आर्थिक रूप से समृद्ध बन सकते हैं।

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