लोकेशन नारायणपुर छत्तीसगढ़
संवाददाता खुमेश यादव
नारायणपुर, रजत महोत्सव कार्यक्रम में जिला पंचायत के द्वारा नारायणपुर में 25 वर्षों में हुए विकास को जीवंत झांकी के माध्यम से प्रदर्शित किया है, जो एक साथ कई सारे संदेशों को समेटे हुए है। जिले के ओरछा जनपद में बसा कच्चापाल ग्राम पंचायत। यह जंगलो से घिरा आदिवासी गांव है। वर्षाे तक यहां माओवाद का आंतक रहा। नक्सलीयो के डर से ग्रामिण भय के सांए में वर्षाे तक जीते रहें। लाल आंतक ने गांव में लाल खून की नदीयां बहा रखा था। माओवाद के कारण न ग्रामिण सरकार के विकास योजनाओ तक पहुॅंच पा रहे थे और ना ही सरकार के विकास योजनाएं ग्रामिणों तक। गांव में न सडक थी, न स्कूल, न चिकित्सालय था, न राशन दुकान, न खेल मैदान था और न ही मोबाइल टावर, और न ही बिजली की व्यवस्था थी। ऐसे में आम आदिवासी ग्रामिणो का जीवन नरक से भी बतर हो गया था। हर मां बाप अपने और अपने बच्चो के भविष्य के लिए काफी चिंतित थे। कितु डर के कारण सभी चुप थे, जिसने भी आवाज उठाई या विकास के बारे में सोचा उसको माओवाद ने जनताना दरवार में मौत के घाट उतार दिया। यह पुरा दौर 2024 तक चलता रहा। आम ग्रामिणों के अंदर दर्द और गुस्से को दबा कर जी रहे थे।
भारत सरकार और राज्य सरकार ने निर्णय लिया की वर्ष 2026 तक माओवाद को जड से खत्म कर देगें। इस फैसले से ग्रामिणों और खास करके गांव के युवाओं में विकास के संबंध में नया उम्मिद जगा। मार्च 2024 में कच्चापाल के आश्रित गांव इरकभट्रटी में पहला सुरक्षा कैंप खुला। इससे माओवाद के बीच भय का महौल बना तथा आम ग्रामिणेा के बीच सरकार के प्रति विश्वास जागा और उज्जवल भविष्य की उम्मीद जागी। लोंग माओवाद को छोड विकास के रास्ते पर चल पडें। माह दिसम्बर 2024 तक ग्राम कच्चापाल में भी सुरक्षा कैंप खुल गया। ग्रामिणो में खुशी की लहर दौड गई। सुरक्षा कैंप के खुलने के बाद ग्रामिणों ने अपनें गांव को भय मुक्त बनाने के लिए ग्राम सभा किये। सरकार के साथ बैठकर विकास की योजना बनाई। अब गांव में सडक है, बिजली है, स्कूल है, स्वास्थ्य केन्द्र बन रहा है, गरीब पीछडों का प्रधानमंत्री आवास बन रहा है। यातायात के साधन हो गया है। महिलाएं समूह से जुड कर स्वरोजगार कर रहे है। गांव में स्व सहायता समूह की महिलाएं धान मील का संचालन कर आय प्राप्त कर रही है। बच्चे स्कूल जा पा रहे है। खेल मैदान का निर्माण हो गया है। सबसे अच्छी बात है कि कच्चापाल गांव में स्थित प्राकृतिक जलप्रपात को देखने दूर दराज से भारी संख्या में सैलानी आने लगे है। जिससे पर्यटन का भी विकास हो रहा है। बंदूक से कमल तक का सफर बडे बअलाव का संकेत है। आस-पास के नक्सल प्रभावित गांव भी कच्चापाल से प्रभावित होकर अपने आप को नक्सल मुक्त कराने का प्रयास कर रहे है। उक्त प्रदर्शनी शहरवासिायों के लिए आकर्षण का केंद्र बना हुआ है।
