जिला आगर मालवा मध्य प्रदेश
लोकेशन सुसनेर
रिपोर्टर मोहम्मद आलम खान
सुसनेर। जनपद पंचायत सुसनेर के समीपस्थ ग्राम नाहरखेड़ा में अंतर्राष्ट्रीय कथावाचक अनमोल श्री जी के मुखारबिंद से सात दिवसीय भागवत कथा का शुभारंभ कलश यात्रा के साथ बुधवार को हुआ। कथावाचक अनमोल श्री जी ने श्रीमद भागवत कथा में प्रथम दिन एक अत्यंत गोपनीय, महत्वपूर्ण और श्रोताओं को जीवन-मरण के चक्र से मुक्ति दिलाने वाली 'अमर कथा' का वर्णन किया गया। कथा के इस अद्भुत प्रसंग ने भक्तों को शिव और शक्ति के परम ज्ञान की ओर अग्रसर किया।
गुफा में शिव-पार्वती का संवाद
कथा व्यास अनमोल श्री जी ने कथा के इस रहस्यमय भाग को अत्यंत रोचक ढंग से सुनाया। उन्होंने बताया कि यह कथा भगवान शिव ने माता पार्वती को सुनाई थी, ताकि वे जन्म-मृत्यु के गूढ़ रहस्य को समझ सकें और अमरत्व प्राप्त कर सकें।
पूज्य श्री जी ने कथा सुनाते हुए कहा, "भगवान शंकर ने यह कथा सुनाने के लिए एक अत्यंत एकांत और पवित्र स्थान – अमरनाथ गुफा – को चुना, जहाँ कोई भी जीव इस रहस्य को सुन न सके।"
उन्होंने विस्तार से बताया कि कैसे शिवजी ने गुफा में प्रवेश से पहले सभी जीवों को हटाया, लेकिन उस समय गुफा के किनारे एक शुक (तोता) का अंडा था, जिससे एक तोते के बच्चे ने जन्म लिया और कथा का श्रवण किया। यही तोता बाद में शुकदेव जी महाराज के नाम से विख्यात हुआ।
अमर कथा का मूल संदेश
पूज्य अनमोल श्री जी ने भक्तों को समझाया कि अमर कथा का मूल उद्देश्य केवल कहानी सुनाना नहीं है, बल्कि जीवन में वैराग्य, ज्ञान और निःस्वार्थ भक्ति के महत्व को स्थापित करना है। उन्होंने कहा, "यह कथा हमें सिखाती है कि शरीर नश्वर है, लेकिन आत्मा अमर है। ईश्वर की प्राप्ति ही हमें जन्म और मरण के इस चक्र से मुक्ति दिला सकती है।"
अनमोल श्री जी के ओजस्वी प्रवचन सुनकर श्रोता भावविह्वल हो उठे। उन्होंने कहा कि भागवत कथा में इस अमर कथा का वर्णन यह सिद्ध करता है कि भागवत कथा स्वयं ही अमरता की ओर ले जाने वाली नाव है।
भक्तों को मिला जीवन की नई दिशा
नाहरखेड़ा और आसपास के क्षेत्रों से आए भक्तों ने इस गूढ़ प्रसंग को सुना और अपने जीवन को धन्य माना। आयोजन समिति ने बताया कि पूज्य श्री जी की कृपा से नाहरखेड़ा में यह ज्ञान गंगा निरंतर प्रवाहित हो रही है, जिससे सैकड़ों लोग आध्यात्मिक शांति प्राप्त कर रहे हैं।
चित्र : ग्राम नाहरखेड़ा में श्रीमद भागवत कथा के प्रारंभ के पूर्व निकाली गई कलश यात्रा।
