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Explainer: घुसपैठियों के पास सारे दस्तावेज तो पहले भी नहीं थे लेकिन अब पश्चिम बंगाल में SIR शुरू होते ही वे क्यों भागने लगे? - NN81

SIR in West Bengal: भारत में CAA आया, और फिर NRC की बात हुई लेकिन तब अवैध बांग्लादेशी इतना नहीं डरे, लेकिन अब SIR की प्रक्रिया शुरू होते ही घुसपैठिए पश्चिम बंगाल छोड़कर क्यों भागने लगे हैं।





Infiltrators In West Bengal: पश्चिम बंगाल में अवैध रूप से रहने वाले बांग्लादेशी नागरिकों में खलबली मची हुई है, और इसकी वजह है स्पेशल इंटेसिव रिवीजन यानी SIR। कोलकाता की गुलशन कॉलोनी जैसे एरिया खाली हो रहे हैं, जहां अवैध बांग्लादेशियों की रिहाइश मानी जाती थी। बड़ी संख्या में बांग्लादेशी, बॉर्डर पर पहुंच रहे हैं और BSF से उन्हें उनके वतन वापस भेजने की गुहार लगा रहे हैं। बांग्लादेश वापस जा रहे एक बांग्लादेशी ने INDIA TV से बताया कि वह 2020 से पश्चिम बंगाल में अवैध तरीके से रह रहा था। उसने कबूला कि वह अवैध तरीके से भारत में आया था। उसने अपनी पहचान का भारत में कभी कोई दस्तावेज भी नहीं बनवाया। अब सवाल है कि बिना किसी आइडेंटिटी प्रूफ के वह पिछले 5 साल से कैसे बिना रोक-टोक के भारत में रह रहा था और अब SIR के शुरू होते ही वह क्यों अपने देश भागने को मजबूर हो गया।

तेज हुई अवैध बांग्लादेशियों की वतन वापसी


बिना रोक-टोक के भारत में बिताए 16 साल

वहीं, एक अन्य घुसपैठिए ने बातचीत में कहा कि वह तो 2009 से ही पश्चिम बंगाल में रह रहा था। वह यहां राज मिस्त्री का काम करता था। वह अपने मामा के साथ बांग्लादेश से पश्चिम बंगाल आया था। हालांकि, उसने कैमरे के सामने ये बताने से मना कर दिया कि उसने अपने मामा के साथ पश्चिम बंगाल में अवैध तरीके से कैसे एंट्री ली थी। लेकिन SIR शुरू होने के बाद वो भी बांग्लादेश वापस जा रहा है।

पश्चिम बंगाल में कैसे हो रहा SIR?

गौरतलब है कि पश्चिम बंगाल में SIR के तहत मतदाता सूची का व्यापक सत्यापन और संशोधन किया जा रहा है। इस प्रक्रिया का मकसद यह सुनिश्चित करना है कि वोटर लिस्ट में कोई भी पात्र मतदाता छूटे ना और कोई भी अपात्र शख्स उसमें शामिल ना हो। SIR प्रक्रिया के दौरान, बूथ स्तर के अधिकारी यानी BLO घर-घर जाकर मतदाताओं को फॉर्म बांट रहे हैं और उनके दस्तावेजों को सत्यापित कर रहे हैं। पश्चिम बंगाल में SIR की प्रक्रिया 4 नवंबर, 2025 को शुरू हुई और यह 4 दिसंबर, 2025 तक जारी रहेगी। इसके बाद अंतिम मतदाता सूची चुनाव आयोग की तरफ से रिलीज की जाएगी।

BSF के सूत्रों के मुताबिक, पिछले एक हफ्ते में बीएसएफ के साउथ बंगाल फ्रंटियर ने पश्चिम बंगाल के अलग-अलग हिस्सों में रहने वाले 1 हजार 720 बांग्लादेशी नागरिकों को उनके वतन वापस भेज दिया है। इन सभी लोगों को भारत की तरफ से बॉर्डर गार्ड्स बांग्लादेश को सौंप दिया गया। ये सभी नॉर्थ 24 परगना जिले के हकीमपुर चेकपोस्ट के जरिए बांग्लादेश वापस भेजे गए। बीएसएफ एक प्रक्रिया का पालन कर रही है जिसमें हकीमपुर चेकपोस्ट पर आने वाले सारे बांग्लादेशी नागरिकों को अपना बायोमेट्रिक रजिस्ट्रेशन कराना होता है। उनके आपराधिक रिकॉर्ड की जांच के बाद पश्चिम बंगाल पुलिस मंजूरी दे रही है। और बंगाल पुलिस अधिकारियों की तरफ से अनुमति मिलने के बाद ही उन्हें बांग्लादेश भेजा जा रहा है। चूंकि सत्यापन प्रक्रिया थोड़ी लंबी है, इसलिए बांग्लादेशियों को हकीमपुर चेकपोस्ट पर घंटों इंतजार करना पड़ रहा है।

SIR से क्यों डरे अवैध बांग्लादेशी?

इस दौरान, हकीमपुर पोस्ट पर अपनी बारी का इंतजार कर रहे एक बांग्लादेशी घुसपैठिए ने बताया कि वह साल 2020 में पश्चिम बंगाल आया था। वह यहां जंगल की साफ-सफाई का काम करता था। उसने अभी तक भारत में अपनी पहचान का कोई पहचान पत्र नहीं बनाया है। लेकिन अब SIR शुरू होने के बाद वह अपने देश यानी बांग्लादेश वापस जा रहा है। बांग्लादेशी घुसपैठिए से जब ये पूछा गया कि SIR में ऐसा क्या है जो वह भारत छोड़कर जाने को मजबूर हो गया है तो उनसे बताया कि सरकार की तरफ से कह दिया गया है कि ये लोग नहीं चाहिए। इसी वजह से वह पश्चिम बंगाल छोड़ रहा है। घुसपैठिए ने ये भी बताया कि वह किसी जान-पहचान वाले के साथ बांग्लादेश से पश्चिम बंगाल आया था। उसने भारत में आने का वैध तरीका नहीं अपनाया था। इसी वजह से उसको अब वापस जाना पड़ रहा है।

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