नानपारा बहराइच ।
कोतवाली नानपारा पुलिस ने शुक्रवार की आधी रात एक राष्ट्रीय दैनिक से जुड़े पत्रकार के घर भारी पुलिस बल के साथ फर्जी लूट के मुकदमे में दबिश दी । पुलिस ने पत्रकार के सहायक को हिरासत में ले लिया और पत्रकार को धमकी दी। इससे परिवार के लोग सदमे में हैं। घटना की जानकारी मिलते ही पत्रकार संगठनों में आक्रोश फैल गया और इसके बाद सभी पत्रकार नारेबाजी करते हुए पुलिस उपाधीक्षक कार्यालय पहुंचे और पुलिस की कार्यशैली पर सवाल उठाते हुए कार्रवाई की मांग की। सीओ के आश्वासन के बावजूद पत्रकार शांत नहीं हुए और कतर्नियाघाट तिराहे तक पैदल मार्च निकालते हुए पुलिस विरोधी नारे लगाए। इमामगंज चौराहे पर पुनः पहुंचे पत्रकारों से सीओ ने मुलाकात कर ज्ञापन लिया और शीघ्र जांच का आश्वासन दिया, जिसके बाद मामला कुछ शांत हुआ। बताया जाता है कि नानपारा नगर निवासी गोपाल टेकडीवाल पुत्र मालीराम टेकडीवाल ने पत्रकार रजनीश रस्तोगी पुत्र बसंत लाल रस्तोगी निवासी पुरानी बाजार समेत अन्य के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता की धारा 309(4), 329(3), 324(4), 351(3) के तहत देर रात मुकदमा दर्ज कराया। जबकि मामला मात्र भूमि विवाद से जुड़ा बताया जा रहा है। एक सप्ताह पूर्व कोतवाली में दोनों पक्षों के बीच सुलह का प्रयास हुआ था, जिसमें प्रभारी निरीक्षक ने दोनों से भूमि के स्वामित्व से संबंधित दस्तावेज मांगे थे। पत्रकार रजनीश ने दस्तावेज प्रस्तुत कर दिए थे, जबकि गोपाल टेकडीवाल दस्तावेज नहीं दे सके थे। उन्हें एक सप्ताह का समय भी दिया गया था। लेकिन दस्तावेज देने की बजाय उन्होंने फर्जी मुकदमा दर्ज करा दिया। मुकदमा दर्ज होते ही पुलिस की सक्रियता पर भी सवाल उठ रहे हैं। आरोप है कि प्रभारी निरीक्षक ने मुकदमा पंजीकृत होते ही रात में भारी फोर्स के साथ पत्रकार के घर दबिश दी। पुलिस ने घर को चारों ओर से घेर लिया और अंदर घुसकर उत्पात मचाया। महिलाओं और बच्चों से बदसलूकी की गई और अपशब्द कहे गए। उस समय पत्रकार रजनीश घर पर मौजूद नहीं थे। पुलिस ने उनके सहायक को हिरासत में ले लिया और परिवार को धमकाया। शनिवार सुबह घटना की जानकारी होने पर पत्रकार संगठनों ने बैठक कर पुलिस की कार्यशैली पर नाराजगी जताई। सभी पत्रकार संगठन कार्यालय से जुलूस की शक्ल में नारेबाजी करते हुए सीओ कार्यालय पहुंचे। उन्होंने तत्काल जांच कर प्रभारी निरीक्षक को हटाने की मांग की। सीओ ने मौके पर पहुंचकर संगठन के अध्यक्ष सत्यप्रकाश गुप्ता और महामंत्री विनोद द्विवेदी से वार्ता की। पत्रकारों ने हिरासत में लिए गए कर्मचारी की रिहाई की मांग रखी, जिस पर उसे मुक्त किया गया। सीओ ने दोषी पुलिस कर्मियों के खिलाफ जांच कर कड़ी कार्रवाई का आश्वासन दिया। इसके बाद पत्रकार शांत हुए, हालांकि पत्रकारों का कहना है कि जब तक प्रभारी निरीक्षक का स्थानांतरण नहीं होता, आंदोलन जारी रहेगा।
