लोकेशन नारायणपुर छत्तीसगढ़
संवाददाता खुमेश यादव
कला, संस्कृति और अनुशासन से प्रभावित जर्मन पर्यटक बोले – “यही है जीवन का असली अनुभव”
नारायणपुर, 16 अक्टूबर 2025 // बस्तर के अबूझमाड़ क्षेत्र के कच्चापाल गांव में जिला प्रशासन नारायणपुर द्वारा संचालित कम्युनिटी बेस्ड टूरिज्म (सामुदायिक आधारित पर्यटन) पहल ने एक नया इतिहास रच दिया है। इस मॉडल के तहत जर्मनी से आए 70 वर्षीय दंपत्ति श्री ब्रेनहार्ड एवं श्रीमती फ्रांज़िस्का गांव का दौरा करने वाले पहले विदेशी पर्यटक बने।
कच्चापाल में अपने प्रवास के दौरान दंपत्ति ने गांव की पारंपरिक घोटुल व्यवस्था को नज़दीक से देखा और स्थानीय युवाओं की सामाजिक व्यवस्था, सामुदायिक सहयोग और अनुशासन की सराहना की। उन्होंने कहा कि यह परंपरा बस्तर की सांस्कृतिक आत्मा को जीवंत रखती है।
दंपत्ति ने रामकृष्ण आश्रम स्कूल का भी दौरा किया, जहाँ उन्होंने बच्चों से संवाद करते हुए उनकी शिक्षा व्यवस्था और जिज्ञासा की खुलकर प्रशंसा की। उन्होंने कहा कि अबूझमाड़ के बच्चों में ज्ञान के प्रति उत्साह और अनुशासन दोनों ही अद्भुत हैं।
पद्मश्री पंडीराम मंडावी से सीखी काष्ठ कला
जर्मन दंपत्ति ने नारायणपुर प्रवास के दौरान प्रख्यात काष्ठ कलाकार पद्मश्री पंडीराम मंडावी के घर जाकर पारंपरिक लकड़ी शिल्प कला को सीखा। उन्होंने इस कला की बारीकियों को समझा और कहा कि यह कला न केवल बस्तर की धरोहर है बल्कि विश्व स्तर पर पहचान पाने योग्य है। उन्होंने यह भी कहा कि इतने सुदूर क्षेत्र में इस स्तर की कला और रचनात्मकता वास्तव में प्रेरणादायक है।
गांव में पारंपरिक स्वागत और विलेज वॉक
कम्युनिटी बेस्ड टूरिज्म मॉडल के अंतर्गत कच्चापाल समिति, कल्चर देवी और अनएक्सप्लोर्ड बस्तर द्वारा श्री अनिरुद्र सरकार के साथ उनका विलेज वॉक आयोजित किया गया। इस दौरान ग्रामीणों ने पारंपरिक तरीके से उनका स्वागत किया — तिलक, फूल और पारंपरिक वाद्य यंत्रों की ध्वनि के साथ पूरा वातावरण उत्साहपूर्ण हो उठा।
गांव के लोगों से मिलते हुए दंपत्ति ने ग्राम्य जीवन की सादगी, आत्मनिर्भरता और सहयोग की भावना को “जीवन का सबसे वास्तविक अनुभव” बताया। उन्होंने कहा कि अबूझमाड़िया जनजाति की सादगी, सामुदायिक जीवन और सांस्कृतिक अनुशासन ने उन्हें गहराई तक प्रभावित किया है।
‘सादगी में सौंदर्य’ – जर्मन दंपत्ति ने दी प्रशंसा की मिसाल
श्री ब्रेनहार्ड और श्रीमती फ्रांज़िस्का ने अपने अनुभव साझा करते हुए कहा कि उन्हें यहां न केवल प्रकृति की सुंदरता बल्कि लोगों के आत्मीय व्यवहार ने भी गहराई से छू लिया। उन्होंने विशेष रूप से बच्चों की समझदारी और शिक्षा सुविधाओं की सराहना करते हुए कहा कि “इस क्षेत्र का भविष्य उज्जवल है, क्योंकि यहां की नई पीढ़ी जागरूक और जिज्ञासु है।”
वैश्विक मंच पर पहुंचा अबूझमाड़ के कच्चापाल गांव नाम
कच्चापाल में पहली बार किसी विदेशी पर्यटक का आगमन होना इस बात का प्रतीक है कि जिला प्रशासन नारायणपुर द्वारा शुरू किया गया सामुदायिक पर्यटन मॉडल न केवल ग्रामीण आजीविका को सशक्त कर रहा है, बल्कि अबूझमाड़ जैसे दुर्गम अंचल को वैश्विक पहचान भी दिला रहा है। यह पहल स्थानीय ग्रामीण और युवाओं को रोजगार सहित प्रशिक्षण के अवसर प्रदान करने के साथ-साथ पर्यटन के माध्यम से सांस्कृतिक आदान-प्रदान का भी सेतु बन रही है।
