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शिवपुरी जिले के पोहरी क्षेत्र के विकास की पोल खोलता कुड़ी गाँव: 4 साल की गुहार के बाद भी नहीं बना रास्ता - NN81




मध्यप्रदेश शिवपुरी से नितिन राजपूत की रिपोर्ट।

पोहरी जनपद के विलौआ पंचायत के अन्तर्गत जहां एक ओर सरकार ग्रामीण विकास के बड़े-बड़े दावे कर रही है, वहीं पोहरी विधानसभा क्षेत्र के कुड़ी गाँव की सच्चाई इन दावों की पोल खोलती नजर आ रही है। बीते 4 वर्षों से लगातार प्रशासनिक अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों को गाँव तक पहुँचने वाले मुख्य मार्ग के निर्माण हेतु निवेदन किया जा रहा है, लेकिन अब तक सिर्फ आश्वासन ही मिले हैं। हालात ये हैं कि थक-हारकर अब ग्रामीणों ने तपती धूप में खुद ही फावड़ा उठाकर रास्ता बनाना शुरू कर दिया है।


ग्रामीणों का कहना है कि अब उनके पास इंतजार का कोई विकल्प नहीं बचा है। रास्ता न होने से बच्चों की पढ़ाई, बुजुर्गों की स्वास्थ्य सुविधाएं और खेती-बाड़ी सभी प्रभावित हो रही हैं। बरसात के दिनों में यह रास्ता कीचड़ से लथपथ होकर पूरी तरह से बंद हो जाता है, जिससे आवागमन ठप हो जाता है।


आंदोलन की चेतावनी, चुनाव बहिष्कार का ऐलान


ग्रामवासियों ने स्पष्ट चेतावनी दी है कि यदि जल्द ही इस मार्ग का निर्माण नहीं कराया गया तो वे आगामी विधानसभा चुनाव का बहिष्कार करेंगे। ग्रामीणों ने ऐलान किया है कि वे किसी भी जनप्रतिनिधि को गाँव में घुसने नहीं देंगे और न ही वोट डालेंगे। इसके साथ ही चक्का जाम जैसे आंदोलनों की भी चेतावनी दी गई है।


सरपंच बोले—पंचायत के पास नहीं है पर्याप्त बजट


ग्राम पंचायत विलौआ के सरपंच श्री गणेश राठौर ने बताया कि चौकी से कुड़ी गाँव तक की पुलिया और मार्ग निर्माण में लगभग 20 से 30 लाख रुपये की लागत आएगी। इस बड़ी राशि को पंचायत अपने स्तर पर वहन नहीं कर सकती। ऐसे में यह कार्य केवल विधायक और सांसद द्वारा विशेष राशि स्वीकृत कराकर ही संभव हो सकता है।


ग्रामीणों के बयान


गाँव के वरिष्ठ नागरिक रामस्वरूप गुर्जर ने कहा, "हमने नजदीकी जनप्रतिनिधियों से लेकर जिला स्तर तक सभी को निवेदन किया, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। अब हमें अपने बच्चों के भविष्य के लिए खुद ही आगे आना पड़ा है।"


एक अन्य ग्रामीण महिला गीता देवी ने बताया, "बीमारी हो या स्कूल जाना—हर बार रास्ते की वजह से परेशानी उठानी पड़ती है। अब और सहन नहीं होगा।"


कुड़ी गाँव का यह मामला सिर्फ एक गाँव का नहीं, बल्कि उन सैकड़ों ग्रामीण क्षेत्रों का प्रतिनिधित्व करता है, जहाँ विकास आज भी सिर्फ कागज़ों में सिमटा है। ग्रामीणों का आंदोलन आने वाले समय में प्रशासन और जनप्रतिनिधियों के लिए एक चेतावनी है कि अब जनता सिर्फ आश्वासन नहीं, ठोस कार्य देखना चाहती है।

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