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चिरपोटी में मनाया गया बड़े धूमधाम से रथयात्रा का पर्व - NN81

 


प्रदीप गंजीर की रिपोर्ट

कुरुद ब्लाक के चिरपोटी गांव में लगभग 40-45 वर्षो से स्व. दाऊ दौव्वा राम साहू के परिवार द्वारा हर साल रथयात्रा के दिन बड़े धूमधाम से रथ निकाली जाती है, जिसमे साहू जी के पूरा परिवार इकठ्ठा होकर इस पर्व को मनाते है रथ साहू जी के पैतृक निवास से बाजे गाजे के साथ राधाकृष्मंदिर तक निकाला जाता है ,रथयात्रा के दौरान श्रद्धालुओं को गजा मूंग की प्रसादी बाटी जाति है एवं रथ मंदिर पहुंचने के पश्चात सत्यनारायण की कथा एवं आरती पूजन कर संपन्न की जाती है रथ यात्रा का पर्व ग्राम वासियों के सहयोग से बड़े हर्ष उल्लास के साथ मनाया जाता है, इस महापर्व में आसपास के गांव के श्रद्धालु भी बढ़-चढ़कर हिस्सा लेते हैं एवं प्रभु की रथयात्रा में शामिल होकर पुण्य कमाने का लाभ उठाते हैं। भारत के सबसे प्रमुख और खास त्योहारों में से एक मानी जाती है जगन्नाथ रथ यात्रा, जिसे रथ त्योहार और श्री गुंडीचा यात्रा के नाम से भी जाना जाता है. हिंदू पंचांग के अनुसार, हर वर्ष आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को उड़ीसा के पुरी में जगन्नाथ रथ यात्रा बड़ी ही धूमधाम से निकला जाती है. इस साल जगन्नाथ रथ यात्रा शुक्रवार बड़ी धूमधाम से मनाया गया. 


रथ यात्रा के दौरान भगवान जगन्नाथ अपने भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा के साथ रथ पर विराजते हैं. जगन्नाथ रथ यात्रा का विशेष महत्व है पूरी दुनिया से श्रद्धालु इस पवित्र यात्रा में शामिल होने के लिए आते हैं. ऐसा माना जाता है कि भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा में शामिल होने से रथ को खींचने से मोक्ष की प्राप्ति होती है. 


क्यों निकाली जाती है रथ यात्रा?


स्कंद पुराण के अनुसार, भगवान जगन्नाथ की बहन सुभद्रा ने एक दिन नगर देखने की इच्छा व्यक्त की. तब जगन्नाथ और बलभद्र अपनी बहन को रथ पर बिठाकर नगर दिखाने निकले. इस यात्रा के दौरान वे अपनी मौसी गुंडिचा के घर गए और वहां सात दिनों तक रुके. तभी से जगन्नाथ रथ यात्रा की परंपरा शुरू हुई।

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