अनिल मालवीय जिला हरदा एमपी से
हरदा जिले के खिड़कियां। सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र खिड़कियां में गंभीर लापरवाही का मामला सामने आया है। अस्पताल परिसर के भीतर ही पोस्टमार्टम किए जाने की जानकारी सामने आने के बाद स्थानीय लोगों में भारी आक्रोश है। अस्पताल जैसी संवेदनशील जगह पर इस तरह शव परीक्षण किया जाना न केवल नियमों के विरुद्ध है, बल्कि मरीजों की जान के साथ सीधा खिलवाड़ माना जा रहा है।
पोस्टमार्टम के लिए अलग भवन अनिवार्य, फिर भी अस्पताल में हो रहा संचालन
स्वास्थ्य विभाग के नियमों के अनुसार पोस्टमार्टम के लिए अस्पताल परिसर से अलग, पृथक एवं सुरक्षित भवन होना चाहिए, ताकि संक्रमण व बदबू का खतरा मरीजों और स्टाफ तक न पहुंचे। इसके बावजूद खिड़कियां सीएचसी में अस्पताल की सीमा के भीतर ही शव परीक्षण किए जा रहे हैं।
सूत्रों का कहना है कि:
शव परीक्षण के दौरान बदबू और जैविक कचरा सीधे अस्पताल परिसर तक फैल जाता है
मरीजों और प्रसूति वार्ड पर इसका सीधा प्रभाव पड़ता है
मरीजों में संक्रमण का खतरा बढ़ा
विशेषज्ञों के अनुसार पोस्टमार्टम के दौरान निकलने वाला जैविक अपशिष्ट (Bio-waste) गंभीर वायरस और बैक्टीरिया लेकर आता है, जो अस्पताल में भर्ती मरीजों — खासकर गर्भवती महिलाओं, बच्चों व वृद्धों— के लिए बड़ा खतरा है।
अस्पताल में भर्ती एक मरीज के परिजन ने कहा:
> “यहां मरीज इलाज कराने आते हैं, लेकिन अस्पताल में ही पोस्टमार्टम देखकर डर लगने लगा है। बदबू और गंदगी से माहौल खराब रहता है।”
प्रबंधन जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ रहा?
मामले में जब अस्पताल प्रबंधन से बात करने की कोशिश की गई तो अधिकारियों ने गोलमोल जवाब दिया।
स्थानीय लोगों की मांग — तुरंत बंद हो यह अवैध व्यवस्था
ग्रामीणों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने कलेक्टर व स्वास्थ्य विभाग से मांग की है कि:
अस्पताल परिसर में पोस्टमार्टम तुरंत बंद कराया जाए।
जिम्मेदार अधिकारियों पर कार्रवाई की जाए
यह मामला एक बार फिर दर्शाता है कि स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही कितनी गंभीर हो चुकी है। जहां मरीजों को सुरक्षा और स्वच्छता मिलनी चाहिए, वहीं वे संक्रमण और भय के माहौल में इलाज कराने को मजबूर हैं।
