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संत तप का प्रतिफल है बाड़ी का मां हिंगलाज उपशक्ति पीठ - NN81



बृजेश ठाकुर

बाड़ी। खाकी अखाड़ा का नाम खाकी अखाड़ा राम मंदिर क्यों पड़ा इस पावन धाम का इतिहास 5000 वर्ष पुराना है इस मंदिर की गादी नहंग गादी के रूप में नर्मदा अंचल में ही नहीं पूरे प्रदेश में प्रसिद्ध है। यहां संतो की महिमा मंडन की अनेक चर्चाएं हैं फारसी भाषा में प्रमाणित दस्तावेज के रूप में मौजूद है इस गादी के दसवें महंत संत भगवान दास जी महाराज रामानंद संप्रदाय के थे राम के आराध्य भक्त होने के कारण खाकी अखाड़ा धर्म स्थल पर अनेकों चमत्कार हुए जिससे नगर के बुजुर्ग इसके साक्षी भी रहे नगर एवं क्षेत्र में महारोग एवं बीमारियों का प्रकोप पड़ा जिससे व्यथित होकर संत ने शक्ति स्वरूपों की आराधना का संकल्प लिया लेकिन उनकी इस संकल्प यात्रा में संत और नागाओ ने अनुरोध एवं याचना के चलते यात्रा में रुकावट हो रही थी जिससे संत भगवान दास जी महाराज तप कुटिया में ही रहने लगे संत के इस महासंकल्प को देखते हुए संत नागा समाज में व्याकुलता बढ़ने लगी संत को अपने साथ दो नागाओं को ले  जाने का प्रस्ताव रखा संत ने सहमति से सिर हिलाते हुए प्रस्ताव पर सहमति दी जब संत ने वन गमन किया तो उनके साथी इस यात्रा में थकान महसूस कर रहे थे अंतिम गादी के महंत तुलसीदास जी महाराज के कथनानुसार संत को मां स्वरूपा हिंगलाज ने कन्या स्वरूप में दर्शन दिए प्रज्वलित अग्नि देते हुए अपने स्थान पर मेरी मूर्ति स्थापित कर अपने स्थान पर स्थापित कर दो मैं भक्तों की हर मनोकामना पूर्ण करूंगी आज खाकी अखाड़ा की बगिया में मां का भव्य मंदिर स्थापित है यहां पर शारदिया एवं चेत्र नवरात्र पर मां का बेटा आल्हा मां के भक्त संत भगवान दास जी महाराज मां के दर्शन को आते हैं ऐसी किवदंती है नवरात्रि पर्व पर हजारों की संख्या में भक्त दूरदराज से यहां आते हैं और अरदास लगाते हैं भक्त आते जाते संत भगवान दास जी का जयकारा लगाते हैं। नवरात्रि पर्व हिंगलाज गढ़ में जन आस्था का मेला लगता है जो आस्था का केंद्र माना जाता है यहां पर दूर-दूर से लोग आते हैं और मां हिंगलाज की आशीर्वाद की भीख मांगते हैं और मां अपने भक्तों को निराश नहीं जाने देती यहां पर जो आता है खाली नहीं जाता है यह यहां की संत परंपरा की मिसाल है। सोमवार से नवरात्रि पर्व प्रारंभ हो गया है और सुबह 4:00 बजे से भक्तों की भीड़ देखते ही बनती है बारना नदी पुल पर नवरात्रि पर्व पर धार्मिक जैसा माहौल दिखाई देता है भारी संख्या में लोग अपनी इच्छा को लेकर आते हैं और इच्छा फल पाते हैं 4:00 बजे से रात्रि 10:00 बजे तक भक्तों का तांता लगा रहता है।

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