संवाददाता,, दरबार सिंह ठाकुर
तहसील,, देपालपुर जिला इंदौर एमपी
देपालपुर। इंदौर शहर में जहां प्रशासनिक सख्ती के बाद शराब दुकानों पर ओवररेटिंग पर रोक लगी है, वहीं देपालपुर में शराब ठेकेदारों ने ग्राहकों की लूट मचा रखी है। लाइसेंसी ठेकेदार देवेंद्र पवार एवं पार्टनर मनोज चौकसे पर आरोप है कि वे एमआरपी से अधिक दर पर शराब बेच रहे हैं।
ग्राहकों का कहना है कि कलाली नंबर 2 पर 109 रुपए की कीमत वाली BACARDI + CRANBERRY बियर 120 रुपए में बेची जा रही है। इसी तरह अन्य अंग्रेजी और देशी शराब पर भी अतिरिक्त रकम वसूली जा रही है। यानी सीधे-सीधे ग्राहकों से ₹10-₹15 अधिक वसूलकर ठेकेदार अपनी जेब भर रहे हैं।
प्रशासन की चुप्पी पर सवाल
जब शासन ने साफ निर्देश दिए हैं कि लाइसेंसधारी एमआरपी से ज्यादा पर शराब नहीं बेच सकते, तो देपालपुर में ठेकेदारों की मनमानी क्यों जारी है? पत्रकारों द्वारा कई बार शिकायतें अधिकारियों तक पहुंचाई जा चुकी हैं, लेकिन अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई। इससे आबकारी विभाग और पुलिस की मिलीभगत के सवाल खड़े हो रहे हैं।
अहाते खुले आम संचालित
शासन ने प्रदेश में अहाते बंद करने का निर्णय लिया था, लेकिन देपालपुर की कलाली नंबर 1 और 2 पर खुलेआम अहाते संचालित किए जा रहे हैं। कुछ दिन पहले शिकायतें आने के बाद इन्हें दिखावे के लिए एक-दो दिन बंद कराया गया था, लेकिन अब फिर से पूरी तरह से चालू हैं।
गांव-गांव में अवैध शराब बिक्री
देपालपुर नगर ही नहीं, बल्कि आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों—मंगलवार पशु हाट, सेमदा रोड, बनेडिया रोड, बरोदा पंथ, सेमदा आदि स्थानों पर भी अवैध शराब का कारोबार फल-फूल रहा है। यहां खुलेआम एमआरपी से अधिक दामों में शराब बेची जा रही है।
अधिकारियों का बयान
ग्रामीण पुलिस अधीक्षक रूपेश त्रिवेदी (महू) ने कहा—“आपके द्वारा जानकारी दी गई है कि देपालपुर में अवैध शराब और अहाते संचालित हो रहे हैं। हम इस मामले की जांच करवाते हैं और कार्रवाई करेंगे।”
देपालपुर एसडीएम मोहन त्रिपाठी ने भी आश्वासन दिया—“अवैध शराब बिक्री और अहाते संचालन की जांच कर जल्द कार्रवाई की जाएगी।”
आबकारी अधिकारी की चुप्पी
इस पूरे मामले में देपालपुर आबकारी अधिकारी मनीष राठौर से कई बार संपर्क करने की कोशिश की गई, लेकिन उन्होंने फोन रिसीव नहीं किया। उनकी चुप्पी भी इस अवैध कारोबार पर सवालिया निशान खड़े कर रही है।
युवाओं का भविष्य दांव पर
देपालपुर में जिस तरह से शराब का अवैध कारोबार और ओवररेटिंग चल रही है, उससे नई पीढ़ी आसानी से नशे की गिरफ्त में आ रही है। अब सवाल यह है कि कब तक अधिकारी ठेकेदारों की मनमानी पर आंख मूंदे रहेंगे और कब इस गोरखधंधे पर सख्त कार्रवाई होगी।

